सप्त्श्रींगी देवी, नाशिक-त्रैम्बकेश्वर , की यात्रा
जैसे ही मैं अंतिम सीढ़ी से उतरा, मेरे ध्यान स्थानीय लोगों की एक टोली पर गया, जो निचली सीढ़ी पर अजीबो-गरीब हरकतें कर रहे थे. मेरी पत्नी तो आगे बढ़ गयीं, पर मैं अपनी जिज्ञासा शांत करने हेतु उस टोली की ताराग चला गया. वहां एक स्त्री, जिसके बाल बिखरे हुए थे, बड़े जोरों से चिल्ला रही थी. वह हांफ भी रही थी और बड़ी बेचैन लग रही थी. वहीँ खड़े लोगों ने मुझे बताया कि उस स्त्री पर देवी आ गयीं हैं और वह तब-तक ठीक नहीं होगी, जब तक इस मंदिर के सामने उसकी पूजा न की जाये. उसके घरवाले भी वहीँ मौजूद थे. कोई ओझा उसकी तथाकथित पूजा कर रहा था. इस पूजा की पूजन सामग्री कोई भिन्न नहीं थी. वही अगरबत्ती, नारियल, फूल, मिठाई इत्यादि. पर एक बकरा भी वहीँ खड़ा था,
Read More